Thursday, October 15, 2015

शायरी

साधारण लोग: सुसु जाना हैं.

गुलज़ार साहब-

मचलती हैं पेट में कुछ लहरें सी,
लगता हैं इन्हें किसी किनारे का इंतज़ार हैं!

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